रिपोर्ट मोनिका कश्यप
श्री कृष्ण जन्माष्टमी 2024 का शुभ मुहूर्त 26 अगस्त को रात 11:57 बजे से शुरू होकर 27 अगस्त को रात 12:42 बजे तक रहेगा। इस अवधि को भगवान श्री कृष्ण के जन्म का समय माना जाता है और इसे निशिता काल कहा जाता है। इस समय भगवान श्री कृष्ण की पूजा विशेष रूप से फलदायी मानी जाती है।
पूजा विधि:
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- व्रत और संकल्प: जन्माष्टमी के दिन व्रत रखकर भगवान श्री कृष्ण की आराधना की जाती है। सुबह स्नान कर शुद्ध वस्त्र धारण करें और व्रत का संकल्प लें।
- पूजा स्थल की तैयारी: पूजा के लिए एक साफ स्थान चुनें और वहां भगवान कृष्ण की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें। पूजन सामग्री में पंचामृत, तुलसी दल, माखन-मिश्री, धूप, दीपक, और फूलों का प्रबंध करें।
- श्रीकृष्ण की पूजा: निशिता काल (रात्रि में 12 बजे के आसपास) भगवान कृष्ण की पूजा शुरू करें। सबसे पहले श्री कृष्ण का अभिषेक पंचामृत से करें, फिर साफ जल से स्नान कराएं।
- श्रृंगार और भोग: अभिषेक के बाद भगवान श्री कृष्ण को नए वस्त्र पहनाएं और आभूषणों से सजाएं। फिर भगवान को माखन-मिश्री, फल, और अन्य मिठाइयों का भोग लगाएं।
- आरती और मंत्र: पूजा के बाद भगवान श्री कृष्ण की आरती करें और “ॐ क्लीं कृष्णाय नमः” मंत्र का जप करें। श्रीमद् भगवद् गीता का पाठ या श्री कृष्ण जन्म की कथा का श्रवण करना भी उत्तम माना जाता है।
- नशा व्रत: रात भर जागरण करके भगवान श्री कृष्ण की भक्ति में समय बिताएं। इस दौरान भजन-कीर्तन और श्री कृष्ण के नाम का स्मरण करें।
- व्रत समाप्ति: अगले दिन अष्टमी समाप्त होने पर पूजा का समापन करें और व्रत खोलें।
श्री कृष्ण जन्माष्टमी का पर्व भगवान श्री कृष्ण की लीलाओं को स्मरण कर जीवन में उनकी शिक्षाओं का अनुसरण करने का दिन है।