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Vishwakarma Pooja 2024: विश्वकर्मा पूजा का (हिंदू) सनातन जीवन में, धार्मिक और सामाजिक महत्व

आलेख – मोहम्मद सईद पठान

विश्वकर्मा पूजा हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण त्योहार है, जो हर साल भगवान विश्वकर्मा के सम्मान में मनाया जाता है। भगवान विश्वकर्मा को देवताओं के शिल्पकार और सृष्टि के निर्माता के रूप में पूजा जाता है। यह पूजा मुख्य रूप से शिल्पकारों, कारीगरों, इंजीनियरों, निर्माण कार्य में लगे लोगों, और औद्योगिक कर्मियों द्वारा की जाती है, जो भगवान विश्वकर्मा को अपनी कला और सृजनशीलता का प्रेरणास्रोत मानते हैं। इस पूजा का हिंदू सनातन जीवन में धार्मिक और सामाजिक दोनों ही दृष्टिकोण से गहरा महत्व है।

धार्मिक महत्व:

  1. सृजन और निर्माण के देवता की पूजा:
    भगवान विश्वकर्मा को वेदों में ‘सृजन और निर्माण के देवता’ के रूप में जाना जाता है। ऋग्वेद में विश्वकर्मा का वर्णन एक दिव्य शिल्पकार और आर्किटेक्ट के रूप में किया गया है, जिन्होंने देवताओं के महलों, अस्त्र-शस्त्रों, और अद्भुत नगरीय संरचनाओं का निर्माण किया। विश्वकर्मा पूजा इस धार्मिक मान्यता को दर्शाती है कि सृजन और निर्माण की प्रक्रिया भी दिव्य होती है, और इसमें भगवान का आशीर्वाद अनिवार्य है। यह पूजा इस बात को रेखांकित करती है कि जीवन में प्रगति और विकास के लिए ईश्वरीय शक्ति और आशीर्वाद की आवश्यकता होती है।
  2. आध्यात्मिक उन्नति का प्रतीक:
    विश्वकर्मा पूजा केवल बाहरी निर्माण और सृजन से नहीं जुड़ी है, बल्कि यह आंतरिक उन्नति और सृजनशीलता का भी प्रतीक है। यह पूजा हमें जीवन में सकारात्मक सोच, अनुशासन, और समर्पण के साथ काम करने की प्रेरणा देती है। भगवान विश्वकर्मा की पूजा करके, लोग अपनी रचनात्मकता और कार्यशक्ति को नई दिशा देने का प्रयास करते हैं। यह पूजा एक प्रकार की आध्यात्मिक साधना भी मानी जाती है, जो व्यक्ति को अपने कार्यक्षेत्र में पूर्णता और उत्कृष्टता प्राप्त करने में मदद करती है।
  3. संकल्प और समर्पण का संदेश: विश्वकर्मा पूजा के दौरान लोग अपने कार्यक्षेत्र और औजारों की पूजा करते हैं, जो यह संदेश देता है कि कड़ी मेहनत, समर्पण, और अनुशासन जीवन में सफलता के लिए आवश्यक हैं। यह पूजा हमें यह सिखाती है कि हर प्रकार का कार्य चाहे वह बड़ा हो या छोटा, महत्वपूर्ण है, और उसे ईमानदारी और निष्ठा से करना ही जीवन की सफलता की कुंजी है।

सामाजिक महत्व:

  1. सामाजिक सौहार्द्र और समरसता:
    विश्वकर्मा पूजा एक ऐसा अवसर है, जब विभिन्न सामाजिक और व्यावसायिक समुदाय एकत्रित होते हैं और भगवान विश्वकर्मा का सामूहिक रूप से पूजन करते हैं। इस पूजा में कारीगरों, इंजीनियरों, तकनीकी विशेषज्ञों, और श्रमिकों के बीच आपसी भाईचारा और सहयोग को बढ़ावा मिलता है। यह पूजा हमें यह याद दिलाती है कि समाज की उन्नति और विकास में हर व्यक्ति की भूमिका महत्वपूर्ण है, चाहे वह किसी भी प्रकार का काम करता हो।
  2. काम के प्रति सम्मान और आदर:
    विश्वकर्मा पूजा के अवसर पर औजारों, मशीनों और उपकरणों की पूजा की जाती है, जो यह दर्शाता है कि हमें अपने काम और कार्यस्थल के प्रति आदर और सम्मान रखना चाहिए। इस पूजा के माध्यम से समाज में यह संदेश जाता है कि हर काम, चाहे वह छोटा हो या बड़ा, सम्माननीय है, और मेहनत करने वाले हर व्यक्ति का समाज में विशेष स्थान होता है।
  3. उद्योग और श्रम के महत्व की पहचान:
    विश्वकर्मा पूजा खासतौर से औद्योगिक और शिल्पकार समुदाय के लिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह उनके कार्य और उनकी मेहनत को सम्मानित करता है। पूजा के माध्यम से श्रमिकों और कारीगरों को यह प्रेरणा मिलती है कि वे अपने काम को न केवल जीविकोपार्जन का साधन मानें, बल्कि इसे समाज के विकास और निर्माण के हिस्से के रूप में देखें। यह समाज को यह याद दिलाता है कि श्रम और कारीगरी किसी भी समाज के विकास के लिए आवश्यक हैं।
  4. सृजनात्मकता और नवाचार का प्रोत्साहन:
    विश्वकर्मा पूजा सृजनात्मकता और नवाचार के महत्व को भी रेखांकित करती है। भगवान विश्वकर्मा, जो अद्वितीय रचनाएं करने के लिए प्रसिद्ध हैं, हमें यह सिखाते हैं कि हमें भी अपने कार्यक्षेत्र में नई खोजें और नवाचार करने का प्रयास करना चाहिए। यह पूजा उन सभी लोगों के लिए प्रेरणास्त्रोत है, जो अपने काम में नए विचार और तकनीकी सुधार लाने की दिशा में कार्यरत हैं।
  5. पर्यावरण और संसाधनों का सम्मान:
    विश्वकर्मा पूजा में प्रकृति के संसाधनों का सम्मान भी निहित है। निर्माण और सृजन के लिए प्राकृतिक संसाधनों का इस्तेमाल किया जाता है, और इस पूजा के माध्यम से यह संदेश दिया जाता है कि हमें इन संसाधनों का सही और संतुलित उपयोग करना चाहिए। पर्यावरण के प्रति जागरूकता और संसाधनों के प्रति सम्मान विश्वकर्मा पूजा का एक महत्वपूर्ण पहलू है।

विश्वकर्मा पूजा का धार्मिक और सामाजिक महत्व न केवल कारीगरों और श्रमिकों के जीवन में बल्कि समाज के सभी वर्गों में व्यापक रूप से देखा जा सकता है। यह पूजा हमें श्रम, सृजन, और नवाचार का सम्मान करने की प्रेरणा देती है और समाज में सहयोग, समानता, और सामूहिक उन्नति के मूल्यों को बढ़ावा देती है।

लेखक मान्यता प्राप्त वरिष्ठ पत्रकार एवं 18 इंडिया न्यूज और मिशन संदेश के संपादक है

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