मगहर (संतकबीतनगर) : विश्व के महान सूफ़ी संत, संतक बीर दास जी की परिनिर्वाण स्थली ऐतिहासिक कस्बा नगर पंचायत मगहर निवासी, संत कबीर आचार्य राम विलास इण्टर कालेज मगहर के सेवानिवृत्त प्रवक्ता, जनपद में विद्वता के मामले में एक अलग पहचान बनाने वाले प्रख्यात सामाजिक कार्यकर्ता, मगहर महोत्सव के जनक, संस्थापक सदस्य, लगातर तीन दशक से मगहर महोत्सव का सफल संचालनकर्ता, कबीर चौरा मठ मगहर के संत महन्त आचार्य विचार दास जी महराज जी को फर्स से अर्स तक पहुँचाने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करने वाले शिक्षाविद् उम्दा कवि, शायर, ओजस्वी वक्ता अपनी वाक्यपटुता और बौद्धिक कौशल से विपक्षियों, आलोचकों को धराशायी कर देने, तो कभी अपनो को शेरों शायरी से दिल बाग बाग कर देने वाले अपार बौद्धिक क्षमता के धनी, वर्तमान परिवेश के चाणक्य, राजनीति व कूटनीति के विशेषज्ञय,मौके की नजाकत को सेकेंडो में भाँपकर उसके अनुकुल बोलने में माहिर हमारे गुरु जी परम आदरणीय श्रद्धेय श्री वेद प्रकाश चौबे जी (दादा जी) आज नश्वर जगत को छोड़कर गोलोकवासी हो गये।
आप वास्तव में मधुर और दयालु स्वभाव के थे। आपका प्यार, दुलार, सम्मान व सामाजिक तथा विभिन्न क्षेत्रों में आपका अनुभव सदा हमारी यादों में जिंदा रहेंगे। आपके असमय जाने से मैं अत्यंत दुखी हूँ, निःशब्द हूँ, स्तब्ध हूँ। आज भी आप सूक्ष्म रूप से हमारे बिच मौजूद हैं। आपका समय-समय पर प्यार और अपार आशीर्वाद, मार्गदर्शन मिलता रहता था। गुरु जी निधन से सर से एक संरक्षक का साया उठ गया। उनकी स्मृतियां हम लोगों के बीच हमेशा बनी रहेगी और उनकी प्रेरणादायक बातें हम सबका पथ प्रदर्शन करती रहेंगी। मैं देवाधिदेव महादेव से प्रार्थना करता हूँ कि दिवंगत पुण्यात्मा को अपने श्री चरणों में स्थान दे तथा परिवारजनों एवं स्नेहीजनों, समर्थकों, शुभचिन्तको को इस असहनीय दुःख को सहन करने की शक्ति प्रदान करें। आप वास्तविक, मधुर और दयालु स्वभाव के थे आप सदा हमारी यादों में जिन्दा रहेंगे। अनंत यात्रा पर निकले परम आदरणीय गुरु जी अपने पीछे एक ऐसी पगडंडी छोड़ गए जिसपर उनकी साफ राय, छात्र छात्राओं मगहर के विकास, प्रगति उन्नति के बारे में उनकी गहरी जानकारी और मगहर, जनपद के भीतर सबसे शक्तिशाली शख्सियतों के बारे में उनकी मारक टिप्पणियों के निशान हैं। उनका जाना न सिर्फ एक अनुभवी शिक्षक सामाजिक कार्यकर्ता की हानि है, बल्कि मगहर के भीतर तेवर और तर्क के साथ उठी गर्दन का झुक जाना भी है। मगहर के आंगन में उस बुजुर्ग की उठी हुई उंगली और आलोचना के वह स्वर अब कहां होंगे- यह मुखरता से शुरू हुई यात्रा पर मौन का पूर्णविराम है। आदरणीय गुरु जी भौतिक रूप से भले ही हमारे बीच से विदा हो गए हों लेकिन अपने लेखन और अपने विचारों के माध्यम से वे लंबे समय तक मगहरवासियों के बीच मौजूद रहेंगे। सौम्यता उनकी सुगंध थी, आनंद उनका जीवन था, सत्कर्म उनकी शोभा और परोपकार उनका कर्तव्य था, परिवार जिसका मंदिर था, स्नेह जिसकी शक्ति थी। परिश्रम जिसका कर्तव्य था, परमार्थ जिसकी भक्ति थी। ऐसी आपकी पुण्यात्मा को भगवान शांति प्रदान करें अश्रु पूर्ण श्रद्धांजलि।
रिपोर्ट- एडवोकेट कुलदीप मिश्र मगहर
हज़ारों साल नर्गिस अपनी बे-नूरी पे रोती है
बड़ी मुश्किल से होता है चमन में दीदा-वर पैदा।
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