आलेख – मोहम्मद सईद पठान
संतकबीरनगर। कांशीराम आवास योजना का उद्देश्य था समाज के गरीब और वंचित वर्गों को सस्ती और सम्मानजनक आवास सुविधा उपलब्ध कराना। इस योजना के तहत सरकार ने उन लोगों को घर उपलब्ध कराए जिन्हें अपनी छत मयस्सर नहीं थी। लेकिन आज जिस तरह से खलीलाबाद के कांशीराम आवास परिसर की स्थिति सामने आ रही है, उसे देखकर यह सवाल उठता है कि क्या यह योजना अपने उद्देश्य में सफल हो पाई है?
गुंडागर्दी और अराजकता का गढ़
यहां गुंडागर्दी, अय्याशी और अपराध का बोलबाला है। गुंडे गरीब असहाय लोगों को बिना वजह पीटते नजर आ रहे हैं, इन क्षेत्रों में रहने वाले लोग दिन-रात भय के साये में जीने को मजबूर हैं। गुंडे और अपराधियों ने यहां पर अवैध गतिविधियों का अड्डा बना लिया है, जिससे आम नागरिकों का जीवन दूभर हो गया है।
- अवैध गतिविधियाँ: इस आवासीय परिसर में नशाखोरी, शराबखोरी, जुआ और अन्य अवैध गतिविधियाँ आम हो गई हैं। कुछ स्थानीय गुंडों ने इन क्षेत्रों पर कब्जा जमाकर इन्हें अपने स्वार्थ के लिए इस्तेमाल करना शुरू कर दिया है। यहाँ बाहरी लोगों का आना-जाना भी स्थानीय गुंडों, अपराधियों के सहयोग से होता है, जिससे कानून व्यवस्था बुरी तरह प्रभावित हो रही है।
- महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा पर खतरा: यहां महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा भी गंभीर चिंता का विषय है। अराजकता और गुंडागर्दी के कारण महिलाएं और बच्चे घर से बाहर निकलने में डरते हैं। कई बार उनकी शिकायतों को भी पुलिस और प्रशासन द्वारा अनसुना कर दिया जाता है, जिससे अपराधियों के हौसले और बुलंद हो जाते हैं।
प्रशासन की विफलता और ढीली सुरक्षा व्यवस्था
खलीलाबाद कांशीराम आवास परिसर में बढ़ती गुंडागर्दी और अय्याशी का एक बड़ा कारण है प्रशासन की निष्क्रियता। इन क्षेत्रों में कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए पुलिस और प्रशासन की जिम्मेदारी थी, लेकिन समय पर कार्रवाई न होने के कारण गुंडों और अपराधियों को खुली छूट मिल गई है।
- पुलिस की उदासीनता: पुलिस अक्सर इन मामलों में तब तक कार्रवाई नहीं करती जब तक कि कोई बड़ी घटना न हो जाए। छोटी-छोटी अवैध गतिविधियों को नजरअंदाज किया जाता है, जिससे स्थिति और बिगड़ती जा रही है।
- प्रभावशाली लोगों का संरक्षण: कई बार यह भी देखा गया है कि यहां के गुंडों अपराधियों को राजनैतिक संरक्षण प्राप्त होता है, जिससे उन्हें कानून का डर नहीं रहता। उनके खिलाफ कोई कड़ी कार्रवाई नहीं की जाती, जिससे अव्यवस्था का माहौल बना हुआ है।
समाज में व्याप्त असमानता का दुष्परिणाम
कांशीराम आवास जैसी योजनाएं मूल रूप से समाज के गरीब तबकों की बेहतरी के लिए बनाई गई थीं, लेकिन उनकी दुर्दशा यह दर्शाती है कि योजना बनाते समय निचले स्तर पर उसकी देखरेख और क्रियान्वयन पर पर्याप्त ध्यान नहीं दिया गया। जब समाज के एक हिस्से को उचित संसाधन और सुरक्षा नहीं मिलती, तो अपराध और अराजकता का जन्म स्वाभाविक हो जाता है।
क्या हो सकते हैं समाधान?
- सख्त कानून व्यवस्था: सबसे पहले, इन आवासीय परिसरों में सख्त कानून-व्यवस्था लागू की जानी चाहिए। पुलिस की नियमित पेट्रोलिंग और संदिग्ध गतिविधियों पर कड़ी नजर रखने की जरूरत है। जो लोग इन क्षेत्रों में अवैध गतिविधियों में शामिल हैं, उनके खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई होनी चाहिए।
- समाज की जागरूकता और सहभागिता: स्थानीय समाज को भी जागरूक होना पड़ेगा और गुंडागर्दी या अराजकता के खिलाफ आवाज उठानी होगी। जब तक लोग खुद आगे आकर इन समस्याओं का विरोध नहीं करेंगे, तब तक स्थिति में सुधार मुश्किल है।
- प्रभावी प्रशासनिक नियंत्रण: प्रशासन को यह सुनिश्चित करना होगा कि इन आवासीय योजनाओं का सही और उचित उपयोग हो। प्रशासनिक लापरवाही से गुंडागर्दी और अय्याशी को बढ़ावा मिलता है, इसलिए समय पर निगरानी और कार्रवाई आवश्यक है।
इस प्रकार देखा जाय तो इस आवास में स्थानीय गुंडों का आतंक समाज के विकास और शांति के लिए एक बड़ा खतरा है। अगर समय रहते इन गुंडों अपराधियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई नहीं की गई, तो यह समस्या और भी गंभीर हो सकती है। इसके लिए समाज के हर हिस्से को मिलकर काम करना होगा, ताकि एक सुरक्षित और न्यायपूर्ण समाज का निर्माण हो सके, जहां कोई भी व्यक्ति बिना किसी डर के जीवन जी सके। गुंडागर्दी पर लगाम तभी लगेगी, जब कानून और समाज एकजुट होकर इसका सामना करेंगे।
नोट – प्रेस एक्ट के तहत किसी भी अपराधी और गुंडों का नाम प्रकाशित करना अनिवार्य नहीं
लेखक मान्यता प्राप्त वरिष्ठ पत्रकार एवं मिशन संदेश समाचार पत्र के मुख्य संपादक हैं